1.राष्ट्रीय कबीर सम्मान
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने साहित्य और सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता तथा श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने, साहित्य और कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से अखिल भारतीय सम्मानों और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है।
उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने भारतीय कविता के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान की स्थापना की है। महान संत कवि कबीर ने सदियों पहले कविता का पुनराविष्कार किया था और उसे नयी निभीर्कता दी थी। देश के अनेक भागों में वे आज भी सबसे लोकप्रिय कवि हैं। इस सम्मान के अंतर्गत एक लाख पचास हजार रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है।
असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्डों को राष्ट्रीय कबीर सम्मान का निकष बनाया गया है। चयन की निश्चित प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का ध्यान रखा गया है कि जहाँ एक ओर साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में एक तरह का व्यापक मत संग्रह संदर्भ के लिए उपलब्धा रहे वहीं सम्मान से विभूषित किये जाने वाले कवि का चयन असंदिग्ध निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तरदायी जीवन-दृष्टि, गम्भीर कलानुशासन और सौन्दर्य बोध पर आश्रित हैं।
प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग सभी भारतीय भाषाओं के कवियों, साहित्यकारों, समीक्षकों और साहित्यिक संस्थाओं आदि से उनके रचनात्मक वैशिष्ट्य, ज्ञान और साहित्य संसक्ति का लाभ लेते हुए सम्मान के लिए उपयुक्त कवियों के नामांकन का अनुरोध करता है। ये नामांकन संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकार और विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ लें। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधनकारी माना है और सदैव निरपवाद रूप से इसका पालन भी किया है।
2.राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
मध्यप्रदेश शासन ने साहित्य और कलाओं को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में वार्षिक सम्मान का नाम खड़ी बोली के शीर्ष प्रवर्तक कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की स्मृति में रखा गया है। यह सम्मान वर्ष 1987-88 से प्रारम्भ किया गया है। इस सम्मान के अन्तर्गत एक लाख रुपये की राशि तथा प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती है।
राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान का उद्देश्य हिन्दी साहित्य में श्रेष्ठ उपलब्धि और सृजनात्मकता को सम्मानित करना है। सम्मान का निकष असाधारण उपलब्धि, रचनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साहित्य साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्ड रखे गये हैं। सम्मान के लिये चुने जाने के समय रचनाकार का सृजन-सक्रिय होना अनिवार्य है। मध्यप्रदेश शासन ने यह नीतिगत निर्णय लिया है कि वह निर्णायक समिति की अनुशंसा को स्वीकार करेगा और अनुशंसा उसके लिए बंधनकारी होगी। प्रसंगवश यहाँ यह उल्लेख भी आवश्यक है कि सम्मान केवल सृजनात्मक कार्य के लिए है, शोध अथवा अकादेमिक कार्य के लिए नहीं। कवि के अपने समूचे कृतित्व के आधार पर ही सम्मान देय है न कि किसी एक अथवा विशिष्ट कृति के आधार पर।
निर्धारित चयन प्रक्रिया के अनुसार राज्य शासन देश के काव्य प्रेमियों, कवियों, आलोचकों और संस्थानों आदि से नामांकन आमंत्रित करता है। प्राप्त नामांकन को जूरी के समक्ष अन्तिम निर्णय के लिए प्रस्तुत किया जाता है। चयन समिति में राष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकार और विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ लें।
3.राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान
उत्कृष्ट सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने हिन्दी व्यंग्य, ललित निबन्ध, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में रचनात्मक लेखन के लिए राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान स्थापित किया है। यह गौरव की बात है कि शरद जोशी मध्यप्रदेश के निवासी थे, जिन्हें उनकी सशक्त और विपुल व्यंग्य रचनाओं ने साहित्य के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रतिष्ठित किया। शरद जोशी ने व्यंग्य को नया तेवर और वैविध्य दिया तथा समय की विसंगति और विडम्बना को अपनी प्रखर लेखनी से उजागर करते हुए समाज को दृष्टि और दिशा प्रदान करने का उत्तारदायी रचनाकर्म किया। उनकी व्यंग्य रचनाओं ने हिन्दी साहित्य की समृद्धि में अपना सुनिश्चित योगदान दिया है।
राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान का उद्देश्य साहित्य की ऐसी विधाओं की श्रेष्ठतम प्रतिभाओं को सम्मानित करना है जो कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना आदि केन्द्रीय विधाओं में रचना न करते हुए भी अन्य सर्जनात्मक विधाओं के माध्यम से साहित्य की समृद्धि और बहुलता में अपना योगदान देती हैं। निश्चय ही यह सम्मान रचनात्मक उत्कृष्टता, सुदीर्घ साधना और असाधारण उपलब्धि के निविर्वाद मानदण्डों पर ही देय है। सम्मान के अन्तर्गत 51 हजार रुपये की राशि और प्रशस्ति पट्टिका दी जाती है।
4.राष्ट्रीय कालिदास सम्मान
मध्यप्रदेश शासन ने सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता और श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने और इन कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से कालिदास सम्मान के नाम से शास्त्रीय संगीत, रूपंकर कलाओं, रंगकर्म और शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में एक-एक लाख रुपये के चार वाषिर्क सम्मान स्थापित किए हैं। प्रारम्भ में यह सम्मान बारी-बारी से दिए जाते थे। वर्ष 1986-87 से उक्त चारों कला क्षेत्रों में अलग-अलग सम्मान दिये जाने लगे हैं।
कालिदास सम्मान का निष्कष असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ कला साधना के निरपवाद मानदण्ड रखे गए हैं। चयन की निश्चित प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि कला का एक राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने के इस विनढा प्रयत्न में सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि जहाँ एक ओर कलात्मक उपलब्धियों के लिए एक व्यापक मत संग्रह सन्दर्भ के लिए उपलब्ध रहें, वहीं सम्मान से विभूषित किए जाने वाले कलाकार का चयन असंदिग्ध निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तारदायी जीवन दृष्टि, गम्भीर कलानुशासन और सौन्दर्यबोध पर आश्रित हैं। प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग निर्धारित कलानुशासन में कलाकारों, विशेषज्ञों, रसिकों और संगठनों से अपने रचनात्मक वैशिष्ट्य ज्ञान और संसक्ति का लाभ लेते हुए सम्मान के लिए उपयुक्त कलाकारों के नामांकन करने का अनुरोध करता है। ये नामांकन संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। चयन समिति का निर्णय शासन के लिए बंधनकारी होता है।
5.राष्ट्रीय तुलसी सम्मान
मध्य प्रदेश शासन ने आदिवासी लोक और पारम्परिक कलाओं में उत्कृष्टता और श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने और इन कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से तुलसी सम्मान के नाम से एक लाख रुपये का एक वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया है। यह सम्मान तीन वर्ष में दो बार प्रदर्शनकारी कलाओं और एक बार रूपंकर कलाओं के क्षेत्र में दिया जाता है।
तुलसी सम्मान का निकष असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्ड रखे गये हैं। चयन की निश्चित प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि कला के विवादित राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने के इस विनढा प्रयत्न में सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि जहाँ एक ओर कलात्मक उपलब्धियों के बारे में एक तरह का व्यापक मत संग्रह संदर्भ के लिए उपलब्ध रहे, वहीं सम्मान से विभूषित किये जाने वाले कलाकार या मण्डली का चयन असंदिग्धा निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तरदायी जीवन दृष्टि, गंभीर कलानुशासन और सौन्दर्यबोध पर आश्रित हैं।
6.राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान
देवी अहिल्या बाई कुशल शासिका, न्यायविद, सच्ची समाज सेविका और कलाप्रिय विदुषी थीं। वे स्नेह, दया और धर्म की प्रतिमूर्ति थीं। अहिल्याबाई महिला शक्ति की प्रतीक हैं। उनका जीवन और कार्य समस्त स्त्री जाति के लिए एक उदाहरण है। उनकी स्मृति में देश की सृजनशील महिलाओं के सम्पूर्ण अवदान के लिए देवी अहिल्या सम्मान दिया जाना सुनिश्चित किया गया है।
मध्यप्रदेश शासन ने आदिवासी, लोक एवं पारम्परिक कलाओं के क्षेत्र में महिला कलाकारों की सृजनात्मकता को सम्मानित करने के लिए वर्ष 1996-97 से देवी अहिल्या सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान से विभूषित कलाकार को एक लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। देवी अहिल्या सम्मान सृजनात्मक, उत्कृष्टता, दीर्घ साधना और कलाकार की वर्तमान में सृजन सक्रियता के मानदण्डों के आधार पर दिया जाता है। सम्मान दिये जाने के समय चुने गये कलाकार का सृजन सक्रिय होना अनिवार्य है।
7.राष्ट्रीय इकबाल सम्मान
साहित्य और कलाओं के क्षेत्र में उत्कृष्टता और सृजनात्मकता को सम्मानित करने की अपनी परम्परा के अनुसार मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 1986-87 में, उर्दू साहित्य में रचनात्मक लेखन के लिए इक़बाल सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान में एक लाख रुपये की राशि के साथ प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। पुरस्कार उर्दू के सुप्रसिद्ध कवि अल्लामा इकबाल के नाम पर स्थापित किया गया है जिन्होंने बीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक चार दशकों में उर्दू कविता को नये आयाम दिये। देश के अधिकतम भागों के साथ-साथ विदेश में भी अल्लामा इक़बाल को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
8.राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान
मधयप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए सिनेमा के क्षेत्र में निर्देशन, अभिनय, पटकथा तथा गीत लेखन के लिए वार्षिक राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान की स्थापना की है। यह सम्मान उत्कृष्टता, दीर्घ साधाना, श्रेष्ठ उपलब्धि के मानदण्डों के आधार पर देय है। सम्मान के लिये चुने जाने के समय निर्देशक, कलाकार, पटकथाकार तथा गीतलेखक का सृजन-सक्रिय होना अनिवार्य है। प्रख्यात पार्श्व गायक एवं हरफनमौला कलाकार स्वर्गीय किशोर कुमार खण्डवा, मधयप्रदेश के रहने वाले थे। उन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देते हुए न सिर्फ हिन्दुस्तान, बल्कि विश्व के अनेक देशों में जो जगह बनायी उससे न सिर्फ यश स्थापित हुआ, बल्कि मधयप्रदेश के गौरव में श्रीवृद्धि हुई। उन्हीं की स्मृति में राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान स्थापित किया गया है। इस सम्मान के अंतर्गत दो लाख रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है।
प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग सिनेमा के क्षेत्र के निर्घारित माधयमों में सक्रिय कलाकारों के नामांकन का अनुरोधा करता है। ये नामांकन संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में सिनेमा के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ ले। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधानकारी माना है।
9.राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान
मध्यप्रदेश शासन ने संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उत्कृष्ट युवा प्रतिभा को सम्मानित और प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 1992-93 से वार्षिक राष्ट्रीय सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान का नाम संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के अद्वितीय गायक पण्डित कुमार गन्धर्व की स्मृति में रखा गया है। कलाकार को सम्मान स्वरूप इक्यावन हजार रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका अर्पित की जाती है।
सम्मान के समय कलाकार की आयु सीमा 25 से 45 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। यह सम्मान भारतीय शास्त्रीय संगीत; हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीतद्ध के लिए प्रतिवर्ष बारी-बारी से शास्त्रीय गायन और वादन में दिया जाता है।
राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान का निकष सृजनात्मक उत्कृष्टता, प्रखर प्रयोगशीलता, निरन्तर सृजन सक्रियता और भावी संभावनाओं के निविर्वाद मानदण्ड रखे गये हैं। प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग शास्त्रीय संगीत के कलाकारों, विशेषज्ञों, रसिकों, संगठनों और समाचार-पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के माध्यम से उनके रचनात्मक वैशिष्ट्य ज्ञान और संसक्ति का लाभ लेते हुए उनसे सम्मान के लिए उपयुक्त कलाकारों के नामांकन करने का अनुरोध करता है। ये नामांकन विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार और विशेषज्ञ होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो उसे अपनी तरफ से जोड़ ले। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधनकारी माना है और सदैव निरपवाद रूप से उसका पालन किया है।
मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि उसके अन्य अनेक राष्ट्रीय सम्मानों की तरह राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में युवा कलाकार को दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान है। कुमार जी की अद्वितीय प्रतिभा के लिए यह मध्यप्रदेश की विनढा श्रद्धांजलि है।
10.राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा विभिन्न कलाओं और साहित्य के क्षेत्र में प्रतिवर्ष 15 राष्ट्रीय और 3 राज्यस्तरीय सम्मान दिये जाते हैं। लता मंगेशकर सम्मान सुगम संगीत के लिए दिया जाने वाला राष्ट्रीय अलंकरण है। इसके अंतर्गत सम्मानित कलाकार को दो लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती है।
सुगम संगीत के क्षेत्र में कलात्मक श्रेष्ठता को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से 1984 में लता मंगेशकर सम्मान स्थापित किया गया। यह सम्मान बारी-बारी से संगीत रचना और गायन के लिए दिया जाता है। सम्मान उत्कृष्टता, दीर्घसाधाना और श्रेष्ठ उपलब्धि के भरसक निविर्वाद मानदंडों के आधार पर सुगम संगीत के क्षेत्र में देश की किसी भी भाषा के गायक अथवा संगीत रचनाकार को उसके सम्पूर्ण कृतित्व पर दिया जाता है, न कि किसी एक कृति के आधार पर। सम्मान केवल सृजनात्मक कार्य के लिए है, शोधा अथवा अकादेमिक कार्य के लिए नहीं। सम्मान के लिये चुने जाने के समय कलाकार का सृजन-सक्रिय होना आवश्यक है।
संस्कृति विभाग देश भर के सुगम संगीत के क्षेत्र में संबंधित कलाकारों, विशेषज्ञों, संस्थाओं तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के माध्यम से पाठकों एवं कला रसिकों को नामांकन एवं अनुशंसा के लिए निर्धारित प्रपत्र जारी करता है। प्राप्त नामांकन संस्कृति विभाग द्वारा गठित निर्णायक समिति के समक्ष अंतिम निर्णय के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार, विद्वान और कला-मर्मज्ञ होते हैं। यह समिति, प्राप्त नामांकनों/अनुशंसाओं पर विचार करती है। समिति को स्वतंत्रता होती है कि यदि आवश्यक समझे तो वे नाम भी इसमें जोड़ ले जो समिति की दृष्टि में विचारयोग्य हों। निर्णायक समिति की अनुशंसा को शासन ने अपने लिए बंधनकारी माना है और सदैव निरपवाद रूप से इसका पालन किया है।
11.राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 125वें जन्म वर्ष की पावन स्मृति में गांधी विचार दर्शन के अनुरूप समाज में रचनात्मक पहल, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य शासन ने महात्मा गांधी के नाम पर इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान श्महात्मा गांधी सम्मान' वर्ष 1995 में स्थापित किया है। गांधी सम्मान का मूल प्रयोजन गांधी जी की विचारधारा के अनुसार अहिंसक उपायों द्वारा सामाजिक और आथिर्क क्रांति के क्षेत्र में संस्थागत साधना को सम्मानित और प्रोत्साहित करना है। गांधी सम्मान की पुरस्कार राशि 5 लाख रुपये है। सम्मान के अंतर्गत नकद राशि एवं प्रशस्ति पट्टिका अर्पित की जाती है।
गांधी सम्मान का निर्णय प्रतिवर्ष उच्चस्तरीय विशिष्ट निर्णायक समिति द्वारा किया जाता है। चयन प्रक्रिया के अंतर्गत प्रतिवर्ष देश में गांधी जी के विचार एवं आदर्शों के अनुसार रचनात्मक कार्य करने वाली संस्थाओं, स्वतंत्रता संग्राम सैनिकों, समीक्षकों, समाजशास्त्रियों, बुद्धिजीवियों, केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अलावा समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के माधयम से इस सम्मान के लिए अनुशंसा/नामांकन करने का अनुरोध निर्धारित प्रपत्र में किया जाता है। प्राप्त नामांकनों को निर्णायक समिति के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किया जाता है। निर्णायक मण्डल को यह स्वतंत्रता रहती है कि यदि किसी संस्था का नाम छूट गया हो तो उसे विचारार्थ जोड़ ले। निर्णायक मण्डल का निर्णय अंतिम और राज्य शासन के लिए बंधनकारी होता है। सम्मान के लिए चुनी जाने वाली संस्था के लिए यह आवश्यक है कि चयन के समय संस्था रचनात्मक दिशा में सक्रिय हो। गांधी सम्मान द्वारा सुविचारित तथा सुनियोजित ,श्रृंखला के तहत यह प्रयत्न किया जाता है कि समूचे देश में गांधी जी के आदर्शों और विचारों के अनुसार सामाजिक तथा आथिर्क क्षेत्र में जो सर्वोत्कृष्ट रचनात्मक साधना और अवदान अजिर्त किया गया है उसकी राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक पहचान बने और ऐसी संस्थाओं तथा उनके साधानारत मनीषियों का समूचे प्रदेश की ओर से सम्मान किया जाये।
गांधी सम्मान संस्था के समग्र रचनात्मक अवदान के लिए है, उसकी किसी एक पहल अथवा गतिविधि के लिए नहीं। यह सम्मान विविधा क्षेत्रों में रचनात्मक उपलब्धि के लिए है, शोधा अथवा अकादेमिक कार्यों के लिए नहीं। निर्णायक समिति का गठन राज्य शासन द्वारा किया जाता है। निर्णय की घोषणा के पूर्व संबंधित संस्था से सम्मान ग्रहण करने की स्वीकृति प्राप्त की जाती है। यदि निर्णायक समिति किसी वर्ष विशेष में गांधी सम्मान के लिए संस्था को उपयुक्त नहीं पाती है तो उस वर्ष सम्मान किसी भी संस्था को नहीं दिया जाता है। सम्मान, संस्था द्वारा किए गए रचनात्मक कार्य एवं अनुदान की मान्यता के रूप में दिया जाता है, वित्तीय सहायता के बतौर नहीं।
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12.राष्ट्रीय तानसेन सम्मान
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मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने साहित्य और सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता तथा श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने, साहित्य और कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से अखिल भारतीय सम्मानों और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है।
उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने भारतीय कविता के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान की स्थापना की है। महान संत कवि कबीर ने सदियों पहले कविता का पुनराविष्कार किया था और उसे नयी निभीर्कता दी थी। देश के अनेक भागों में वे आज भी सबसे लोकप्रिय कवि हैं। इस सम्मान के अंतर्गत एक लाख पचास हजार रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है।
असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्डों को राष्ट्रीय कबीर सम्मान का निकष बनाया गया है। चयन की निश्चित प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का ध्यान रखा गया है कि जहाँ एक ओर साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में एक तरह का व्यापक मत संग्रह संदर्भ के लिए उपलब्धा रहे वहीं सम्मान से विभूषित किये जाने वाले कवि का चयन असंदिग्ध निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तरदायी जीवन-दृष्टि, गम्भीर कलानुशासन और सौन्दर्य बोध पर आश्रित हैं।
प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग सभी भारतीय भाषाओं के कवियों, साहित्यकारों, समीक्षकों और साहित्यिक संस्थाओं आदि से उनके रचनात्मक वैशिष्ट्य, ज्ञान और साहित्य संसक्ति का लाभ लेते हुए सम्मान के लिए उपयुक्त कवियों के नामांकन का अनुरोध करता है। ये नामांकन संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकार और विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ लें। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधनकारी माना है और सदैव निरपवाद रूप से इसका पालन भी किया है।
राष्ट्रीय कबीर सम्मान | ||
1. | श्री गोपाल कृष्ण अडिग | 1986-87 |
2. | श्री सुभाष मुखोपाध्याय | 1987-88 |
3. | डॉ. हरभजन सिंह | 1988-89 |
4. | श्री शमशेर बहादुर सिंह | 1989-90 |
5. | श्री विन्दा करन्दीकर | 1990-91 |
6. | श्री हरिन्द्र दवे | 1991-92 |
7. | श्री रमाकान्त रथ | 1992-93 |
8. | श्री नवकान्त बरुआ | 1995-96 |
9. | श्री के. अय्यप्पा पणिक्कर | 1996-97 |
10. | श्री शंखो घोष | 1997-98 |
11. | श्री सीतांशु यशस्वन्द्र | 1998-99 |
12. | श्री नारायण सुर्वे | 1999-00 |
13. | श्री सीताकान्त महापात्र | 2000-01 |
14. | श्री कुंवर नारायण | 2001-02 |
15. | डॉ. चन्द्रशेखर कम्बार | 2002-03 |
16. | श्री ए. रहमान राही | 2003-04 |
17. | श्री गोविन्द चन्द्र पाण्डे | 2004-05 |
18. | श्री अशोक वाजपेयी | 2005-06 |
19. | श्री अक्कितम अच्युतन नम्बूदिरी | 2006-07 |
20. | डा. पदमा सचदेव | 2007-08 |
2.राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
मध्यप्रदेश शासन ने साहित्य और कलाओं को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में वार्षिक सम्मान का नाम खड़ी बोली के शीर्ष प्रवर्तक कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की स्मृति में रखा गया है। यह सम्मान वर्ष 1987-88 से प्रारम्भ किया गया है। इस सम्मान के अन्तर्गत एक लाख रुपये की राशि तथा प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती है।
राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान का उद्देश्य हिन्दी साहित्य में श्रेष्ठ उपलब्धि और सृजनात्मकता को सम्मानित करना है। सम्मान का निकष असाधारण उपलब्धि, रचनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साहित्य साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्ड रखे गये हैं। सम्मान के लिये चुने जाने के समय रचनाकार का सृजन-सक्रिय होना अनिवार्य है। मध्यप्रदेश शासन ने यह नीतिगत निर्णय लिया है कि वह निर्णायक समिति की अनुशंसा को स्वीकार करेगा और अनुशंसा उसके लिए बंधनकारी होगी। प्रसंगवश यहाँ यह उल्लेख भी आवश्यक है कि सम्मान केवल सृजनात्मक कार्य के लिए है, शोध अथवा अकादेमिक कार्य के लिए नहीं। कवि के अपने समूचे कृतित्व के आधार पर ही सम्मान देय है न कि किसी एक अथवा विशिष्ट कृति के आधार पर।
निर्धारित चयन प्रक्रिया के अनुसार राज्य शासन देश के काव्य प्रेमियों, कवियों, आलोचकों और संस्थानों आदि से नामांकन आमंत्रित करता है। प्राप्त नामांकन को जूरी के समक्ष अन्तिम निर्णय के लिए प्रस्तुत किया जाता है। चयन समिति में राष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकार और विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ लें।
राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान | ||
1. | श्री शमशेर बहादुर सिंह | 1987-88 |
2. | श्री नागार्जुन | 1988-89 |
3. | श्री त्रिलोचन शास्त्री | 1989-90 |
4. | श्री केदारनाथ अग्रवाल | 1990-91 |
5. | श्री जगदीश गुप्त | 1991-92 |
6. | श्री केदारनाथ सिंह | 1993-94 |
7. | श्री विनोद कुमार शुक्ल | 1994-95 |
8. | सुश्री कृष्णा सोबती | 1996-97 |
9. | श्री श्रीलाल शुक्ल | 1997-98 |
10. | श्री अमरकान्त | 1998-99 |
11. | श्री चन्द्रकान्त देवताले | 1999-00 |
12. | श्री भीष्म साहनी | 2000-01 |
13. | श्री ज्ञानरंजन | 2001-02 |
14. | श्री विष्णु खरे | 2002-03 |
15. | श्री शेखर जोशी | 2003-04 |
16. | श्री निर्मल वर्मा | 2004-05 |
17. | सुश्री दिनेश नंदिनी डालमिया | 2005-06 |
18. | श्री मनु शर्मा | 2006-07 |
19. | डा. शत्रुघ्न प्रसाद | 2007-08 |
3.राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान
उत्कृष्ट सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने हिन्दी व्यंग्य, ललित निबन्ध, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में रचनात्मक लेखन के लिए राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान स्थापित किया है। यह गौरव की बात है कि शरद जोशी मध्यप्रदेश के निवासी थे, जिन्हें उनकी सशक्त और विपुल व्यंग्य रचनाओं ने साहित्य के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रतिष्ठित किया। शरद जोशी ने व्यंग्य को नया तेवर और वैविध्य दिया तथा समय की विसंगति और विडम्बना को अपनी प्रखर लेखनी से उजागर करते हुए समाज को दृष्टि और दिशा प्रदान करने का उत्तारदायी रचनाकर्म किया। उनकी व्यंग्य रचनाओं ने हिन्दी साहित्य की समृद्धि में अपना सुनिश्चित योगदान दिया है।
राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान का उद्देश्य साहित्य की ऐसी विधाओं की श्रेष्ठतम प्रतिभाओं को सम्मानित करना है जो कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना आदि केन्द्रीय विधाओं में रचना न करते हुए भी अन्य सर्जनात्मक विधाओं के माध्यम से साहित्य की समृद्धि और बहुलता में अपना योगदान देती हैं। निश्चय ही यह सम्मान रचनात्मक उत्कृष्टता, सुदीर्घ साधना और असाधारण उपलब्धि के निविर्वाद मानदण्डों पर ही देय है। सम्मान के अन्तर्गत 51 हजार रुपये की राशि और प्रशस्ति पट्टिका दी जाती है।
राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान | ||
1. | श्री हरिशंकर परसाई | 1992-93 |
2. | श्री मनोहर श्याम जोशी | 1993-94 |
3. | श्री श्रीलाल शुक्ल | 1994-95 |
4. | श्री विवेकी राय | 1996-97 |
5. | श्री रामशरण जोशी | 1997-98 |
6. | श्री रवीन्द्रनाथ त्यागी | 1998-99 |
7. | श्री कृष्ण कुमार | 1999-00 |
8. | श्री काशीनाथ सिंह | 2000-01 |
9. | श्री अमृतलाल वेगड़ | 2001-02 |
10. | श्री प्रयाग शुक्ल | 2002-03 |
11. | श्री दूधनाथ सिंह | 2003-04 |
12. | डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी | 2004-05 |
13. | श्री कृष्ण चराटे | 2005-06 |
14. | श्री बिशन टण्डन | 2006-07 |
15. | श्री आलोक मेहता | 2007-08 |
4.राष्ट्रीय कालिदास सम्मान
मध्यप्रदेश शासन ने सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता और श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने और इन कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से कालिदास सम्मान के नाम से शास्त्रीय संगीत, रूपंकर कलाओं, रंगकर्म और शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में एक-एक लाख रुपये के चार वाषिर्क सम्मान स्थापित किए हैं। प्रारम्भ में यह सम्मान बारी-बारी से दिए जाते थे। वर्ष 1986-87 से उक्त चारों कला क्षेत्रों में अलग-अलग सम्मान दिये जाने लगे हैं।
कालिदास सम्मान का निष्कष असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ कला साधना के निरपवाद मानदण्ड रखे गए हैं। चयन की निश्चित प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि कला का एक राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने के इस विनढा प्रयत्न में सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि जहाँ एक ओर कलात्मक उपलब्धियों के लिए एक व्यापक मत संग्रह सन्दर्भ के लिए उपलब्ध रहें, वहीं सम्मान से विभूषित किए जाने वाले कलाकार का चयन असंदिग्ध निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तारदायी जीवन दृष्टि, गम्भीर कलानुशासन और सौन्दर्यबोध पर आश्रित हैं। प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग निर्धारित कलानुशासन में कलाकारों, विशेषज्ञों, रसिकों और संगठनों से अपने रचनात्मक वैशिष्ट्य ज्ञान और संसक्ति का लाभ लेते हुए सम्मान के लिए उपयुक्त कलाकारों के नामांकन करने का अनुरोध करता है। ये नामांकन संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। चयन समिति का निर्णय शासन के लिए बंधनकारी होता है।
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5.राष्ट्रीय तुलसी सम्मान
मध्य प्रदेश शासन ने आदिवासी लोक और पारम्परिक कलाओं में उत्कृष्टता और श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने और इन कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से तुलसी सम्मान के नाम से एक लाख रुपये का एक वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया है। यह सम्मान तीन वर्ष में दो बार प्रदर्शनकारी कलाओं और एक बार रूपंकर कलाओं के क्षेत्र में दिया जाता है।
तुलसी सम्मान का निकष असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्ड रखे गये हैं। चयन की निश्चित प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि कला के विवादित राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने के इस विनढा प्रयत्न में सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि जहाँ एक ओर कलात्मक उपलब्धियों के बारे में एक तरह का व्यापक मत संग्रह संदर्भ के लिए उपलब्ध रहे, वहीं सम्मान से विभूषित किये जाने वाले कलाकार या मण्डली का चयन असंदिग्धा निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तरदायी जीवन दृष्टि, गंभीर कलानुशासन और सौन्दर्यबोध पर आश्रित हैं।
राष्ट्रीय तुलसी सम्मान | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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6.राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान
देवी अहिल्या बाई कुशल शासिका, न्यायविद, सच्ची समाज सेविका और कलाप्रिय विदुषी थीं। वे स्नेह, दया और धर्म की प्रतिमूर्ति थीं। अहिल्याबाई महिला शक्ति की प्रतीक हैं। उनका जीवन और कार्य समस्त स्त्री जाति के लिए एक उदाहरण है। उनकी स्मृति में देश की सृजनशील महिलाओं के सम्पूर्ण अवदान के लिए देवी अहिल्या सम्मान दिया जाना सुनिश्चित किया गया है।
मध्यप्रदेश शासन ने आदिवासी, लोक एवं पारम्परिक कलाओं के क्षेत्र में महिला कलाकारों की सृजनात्मकता को सम्मानित करने के लिए वर्ष 1996-97 से देवी अहिल्या सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान से विभूषित कलाकार को एक लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। देवी अहिल्या सम्मान सृजनात्मक, उत्कृष्टता, दीर्घ साधना और कलाकार की वर्तमान में सृजन सक्रियता के मानदण्डों के आधार पर दिया जाता है। सम्मान दिये जाने के समय चुने गये कलाकार का सृजन सक्रिय होना अनिवार्य है।
राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान | ||
1. | श्रीमती तीजन बाई | 1996-97 |
2. | श्रीमती विंध्यवासिनी देवी | 1997-98 |
3. | श्रीमती भूरी बाई | 1998-99 |
4. | श्रीमती यमुनाबाई वाईकर | 1999-00 |
5. | श्रीमती सुरूज बाई खाण्डे | 2000-01 |
6. | सुश्री सारा इब्राहीम | 2001-02 |
7. | श्रीमती गुरमीत बावा | 2002-03 |
8. | श्रीमती राज बेगम | 2003-04 |
9. | सुश्री रुकमा देवी मांगणियार | 2004-05 |
10. | श्रीमती शारदा सिन्हा | 2005-06 |
11. | सुश्री गौरी देवी | 2006-07 |
12. | डा. शांति जैन | 2007-08 |
7.राष्ट्रीय इकबाल सम्मान
साहित्य और कलाओं के क्षेत्र में उत्कृष्टता और सृजनात्मकता को सम्मानित करने की अपनी परम्परा के अनुसार मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 1986-87 में, उर्दू साहित्य में रचनात्मक लेखन के लिए इक़बाल सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान में एक लाख रुपये की राशि के साथ प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। पुरस्कार उर्दू के सुप्रसिद्ध कवि अल्लामा इकबाल के नाम पर स्थापित किया गया है जिन्होंने बीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक चार दशकों में उर्दू कविता को नये आयाम दिये। देश के अधिकतम भागों के साथ-साथ विदेश में भी अल्लामा इक़बाल को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
राष्ट्रीय इकबाल सम्मान | ||
1. | श्री अली सरदार जाफरी | 1986-87 |
2. | सुश्री कुर्रतुल एन. हैदर | 1987-88 |
3. | श्री अख़्तर उल ईमान | 1988-89 |
4. | सुश्री इस्मत चुगताई | 1989-90 |
5. | श्री आनंद नारायण मुल्ला | 1990-91 |
6. | श्री मजरूह सुल्तानपुरी | 1991-92 |
7. | श्री मोइन एहसन जज़्बी | 1992-93 |
8. | श्री उपेन्द्र नाथ अश्क | 1995-96 |
9. | श्री हयात उल्ला अंसारी | 1996-97 |
10. | श्री अख़्तर सईद खाँ | 1997-98 |
11. | श्री इब्राहीम यूसुफ | 1998-99 |
12. | श्री जोगिन्दर पाल | 1999-00 |
13. | श्री आले अहमद सुरूर | 2000-01 |
14. | प्रो. मुहम्मद हसन | 2001-02 |
15. | प्रो. जगन्नाथ आज़ाद | 2002-03 |
16. | श्री जनाब रिफ़अत सरोश | 2003-04 |
17. | श्री शहरयार | 2004-05 |
18. | काज़ी अब्दुल सत्तार | 2005-06 |
19. | श्रीशीनकाफ़ निज़ाम | 2006-07 |
20. | श्री इक़बाल मज़ीद | 2007-08 |
8.राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान
मधयप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए सिनेमा के क्षेत्र में निर्देशन, अभिनय, पटकथा तथा गीत लेखन के लिए वार्षिक राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान की स्थापना की है। यह सम्मान उत्कृष्टता, दीर्घ साधाना, श्रेष्ठ उपलब्धि के मानदण्डों के आधार पर देय है। सम्मान के लिये चुने जाने के समय निर्देशक, कलाकार, पटकथाकार तथा गीतलेखक का सृजन-सक्रिय होना अनिवार्य है। प्रख्यात पार्श्व गायक एवं हरफनमौला कलाकार स्वर्गीय किशोर कुमार खण्डवा, मधयप्रदेश के रहने वाले थे। उन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देते हुए न सिर्फ हिन्दुस्तान, बल्कि विश्व के अनेक देशों में जो जगह बनायी उससे न सिर्फ यश स्थापित हुआ, बल्कि मधयप्रदेश के गौरव में श्रीवृद्धि हुई। उन्हीं की स्मृति में राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान स्थापित किया गया है। इस सम्मान के अंतर्गत दो लाख रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है।
प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग सिनेमा के क्षेत्र के निर्घारित माधयमों में सक्रिय कलाकारों के नामांकन का अनुरोधा करता है। ये नामांकन संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में सिनेमा के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ ले। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधानकारी माना है।
राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान | ||
1. | श्री हृषिकेश मुखर्जी | 1997-98 |
2. | श्री नसीरुद्दीन शाह | 1998-99 |
3. | श्री गुलज़ार | 1999-00 |
4. | श्री कैफी आज़मी | 2000-01 |
5. | श्री बी.आर. चोपड़ा | 2001-02 |
6. | श्री अमिताभ बच्चन | 2002-03 |
7. | श्री गोविन्द निहलानी | 2003-04 |
8. | श्री जावेद अख़्तर | 2004-05 |
9. | श्री श्याम बेनेगल | 2005-06 |
10. | श्री शत्रुघ्न सिन्हा | 2006-07 |
11. | श्री मनोज कुमार | 2007-08 |
12. | श्री गुलशन बावरा | 2008-09 |
13. | श्री यश चोपड़ा | 2009-10 |
9.राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान
मध्यप्रदेश शासन ने संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उत्कृष्ट युवा प्रतिभा को सम्मानित और प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 1992-93 से वार्षिक राष्ट्रीय सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान का नाम संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के अद्वितीय गायक पण्डित कुमार गन्धर्व की स्मृति में रखा गया है। कलाकार को सम्मान स्वरूप इक्यावन हजार रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका अर्पित की जाती है।
सम्मान के समय कलाकार की आयु सीमा 25 से 45 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। यह सम्मान भारतीय शास्त्रीय संगीत; हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीतद्ध के लिए प्रतिवर्ष बारी-बारी से शास्त्रीय गायन और वादन में दिया जाता है।
राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान का निकष सृजनात्मक उत्कृष्टता, प्रखर प्रयोगशीलता, निरन्तर सृजन सक्रियता और भावी संभावनाओं के निविर्वाद मानदण्ड रखे गये हैं। प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग शास्त्रीय संगीत के कलाकारों, विशेषज्ञों, रसिकों, संगठनों और समाचार-पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के माध्यम से उनके रचनात्मक वैशिष्ट्य ज्ञान और संसक्ति का लाभ लेते हुए उनसे सम्मान के लिए उपयुक्त कलाकारों के नामांकन करने का अनुरोध करता है। ये नामांकन विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार और विशेषज्ञ होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता है कि अगर कोई नाम छूट गया हो तो उसे अपनी तरफ से जोड़ ले। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधनकारी माना है और सदैव निरपवाद रूप से उसका पालन किया है।
मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि उसके अन्य अनेक राष्ट्रीय सम्मानों की तरह राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में युवा कलाकार को दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान है। कुमार जी की अद्वितीय प्रतिभा के लिए यह मध्यप्रदेश की विनढा श्रद्धांजलि है।
राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान | ||
1. | श्री अजय चक्रवर्ती | 1992-93 |
2. | श्री बुद्धादित्य मुखर्जी | 1993-94 |
3. | श्री राजन-साजन मिश्र | 1994-95 |
4. | श्री रवि किरण | 1995-96 |
5. | श्री मुकुल शिवपुत्र | 1996-97 |
6. | श्री शाहिद परवेज | 1997-98 |
7. | श्री उमाकान्त-रमाकान्त गुन्देचा | 1998-99 |
8. | सुश्री ई. गायत्री | 1999-00 |
9. | श्री उदय भवालकर | 2000-01 |
10. | श्री शुजात हुसैन खाँ | 2001-02 |
11. | श्री उस्ताद राशिद खाँ | 2002-03 |
12. | श्री यू.ए. श्रीनिवास | 2003-04 |
13. | सुश्री अश्विनी भिड़े देशपाण्डे | 2004-05 |
14. | पण्डित रोनू मजूमदार | 2005-06 |
15. | सुश्री आरती अंकलीकर टिकेकर | 2006-07 |
16. | सुश्री कला रामनाथ | 2007-08 |
10.राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा विभिन्न कलाओं और साहित्य के क्षेत्र में प्रतिवर्ष 15 राष्ट्रीय और 3 राज्यस्तरीय सम्मान दिये जाते हैं। लता मंगेशकर सम्मान सुगम संगीत के लिए दिया जाने वाला राष्ट्रीय अलंकरण है। इसके अंतर्गत सम्मानित कलाकार को दो लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती है।
सुगम संगीत के क्षेत्र में कलात्मक श्रेष्ठता को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से 1984 में लता मंगेशकर सम्मान स्थापित किया गया। यह सम्मान बारी-बारी से संगीत रचना और गायन के लिए दिया जाता है। सम्मान उत्कृष्टता, दीर्घसाधाना और श्रेष्ठ उपलब्धि के भरसक निविर्वाद मानदंडों के आधार पर सुगम संगीत के क्षेत्र में देश की किसी भी भाषा के गायक अथवा संगीत रचनाकार को उसके सम्पूर्ण कृतित्व पर दिया जाता है, न कि किसी एक कृति के आधार पर। सम्मान केवल सृजनात्मक कार्य के लिए है, शोधा अथवा अकादेमिक कार्य के लिए नहीं। सम्मान के लिये चुने जाने के समय कलाकार का सृजन-सक्रिय होना आवश्यक है।
संस्कृति विभाग देश भर के सुगम संगीत के क्षेत्र में संबंधित कलाकारों, विशेषज्ञों, संस्थाओं तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के माध्यम से पाठकों एवं कला रसिकों को नामांकन एवं अनुशंसा के लिए निर्धारित प्रपत्र जारी करता है। प्राप्त नामांकन संस्कृति विभाग द्वारा गठित निर्णायक समिति के समक्ष अंतिम निर्णय के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार, विद्वान और कला-मर्मज्ञ होते हैं। यह समिति, प्राप्त नामांकनों/अनुशंसाओं पर विचार करती है। समिति को स्वतंत्रता होती है कि यदि आवश्यक समझे तो वे नाम भी इसमें जोड़ ले जो समिति की दृष्टि में विचारयोग्य हों। निर्णायक समिति की अनुशंसा को शासन ने अपने लिए बंधनकारी माना है और सदैव निरपवाद रूप से इसका पालन किया है।
राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान | ||
1. | श्री नौशाद | 1984-85 |
2. | श्री किशोर कुमार | 1985-86 |
3. | श्री जयदेव | 1986-87 |
4. | श्री मन्ना डे | 1987-88 |
5. | श्री खय्याम | 1988-89 |
6. | सुश्री आशा भोसले | 1989-90 |
7. | श्री लक्ष्मीकांत - श्री प्यारेलाल | 1990-91 |
8. | श्री येसुदास | 1991-92 |
9. | श्री राहुलदेव बर्मन | 1992-93 |
10. | श्रीमती संध्या मुखर्जी | 1993-94 |
11. | श्री अनिल विश्वास | 1994-95 |
12. | श्री तलत महमूद | 1995-96 |
13. | श्री कल्याण जी - श्री आनन्द जी | 1996-97 |
14. | श्री जगजीत सिंह | 1997-98 |
15. | श्री इलिया राजा | 1998-99 |
16. | श्री एस.पी. बालसुब्रमण्यम् | 1999-00 |
17. | श्री भूपेन हजारिका | 2000-01 |
18. | श्री महेन्द्र कपूर | 2001-02 |
19. | श्री रवीन्द्र जैन | 2002-03 |
20. | श्री सुरेश वाडकर | 2003-04 |
21. | श्री ए.आर. रहमान | 2004-05 |
22. | सुश्री कविता कृष्णमूर्ति | 2005-06 |
23. | श्री हृदयनाथ मंगेशकर | 2006-07 |
24. | श्री नितिन मुकेश | 2007-08 |
25. | श्री रवि | 2008-09 |
26. | श्री अनुराधा पौडवाल | 2009-10 |
11.राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 125वें जन्म वर्ष की पावन स्मृति में गांधी विचार दर्शन के अनुरूप समाज में रचनात्मक पहल, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य शासन ने महात्मा गांधी के नाम पर इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान श्महात्मा गांधी सम्मान' वर्ष 1995 में स्थापित किया है। गांधी सम्मान का मूल प्रयोजन गांधी जी की विचारधारा के अनुसार अहिंसक उपायों द्वारा सामाजिक और आथिर्क क्रांति के क्षेत्र में संस्थागत साधना को सम्मानित और प्रोत्साहित करना है। गांधी सम्मान की पुरस्कार राशि 5 लाख रुपये है। सम्मान के अंतर्गत नकद राशि एवं प्रशस्ति पट्टिका अर्पित की जाती है।
गांधी सम्मान का निर्णय प्रतिवर्ष उच्चस्तरीय विशिष्ट निर्णायक समिति द्वारा किया जाता है। चयन प्रक्रिया के अंतर्गत प्रतिवर्ष देश में गांधी जी के विचार एवं आदर्शों के अनुसार रचनात्मक कार्य करने वाली संस्थाओं, स्वतंत्रता संग्राम सैनिकों, समीक्षकों, समाजशास्त्रियों, बुद्धिजीवियों, केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अलावा समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के माधयम से इस सम्मान के लिए अनुशंसा/नामांकन करने का अनुरोध निर्धारित प्रपत्र में किया जाता है। प्राप्त नामांकनों को निर्णायक समिति के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किया जाता है। निर्णायक मण्डल को यह स्वतंत्रता रहती है कि यदि किसी संस्था का नाम छूट गया हो तो उसे विचारार्थ जोड़ ले। निर्णायक मण्डल का निर्णय अंतिम और राज्य शासन के लिए बंधनकारी होता है। सम्मान के लिए चुनी जाने वाली संस्था के लिए यह आवश्यक है कि चयन के समय संस्था रचनात्मक दिशा में सक्रिय हो। गांधी सम्मान द्वारा सुविचारित तथा सुनियोजित ,श्रृंखला के तहत यह प्रयत्न किया जाता है कि समूचे देश में गांधी जी के आदर्शों और विचारों के अनुसार सामाजिक तथा आथिर्क क्षेत्र में जो सर्वोत्कृष्ट रचनात्मक साधना और अवदान अजिर्त किया गया है उसकी राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक पहचान बने और ऐसी संस्थाओं तथा उनके साधानारत मनीषियों का समूचे प्रदेश की ओर से सम्मान किया जाये।
गांधी सम्मान संस्था के समग्र रचनात्मक अवदान के लिए है, उसकी किसी एक पहल अथवा गतिविधि के लिए नहीं। यह सम्मान विविधा क्षेत्रों में रचनात्मक उपलब्धि के लिए है, शोधा अथवा अकादेमिक कार्यों के लिए नहीं। निर्णायक समिति का गठन राज्य शासन द्वारा किया जाता है। निर्णय की घोषणा के पूर्व संबंधित संस्था से सम्मान ग्रहण करने की स्वीकृति प्राप्त की जाती है। यदि निर्णायक समिति किसी वर्ष विशेष में गांधी सम्मान के लिए संस्था को उपयुक्त नहीं पाती है तो उस वर्ष सम्मान किसी भी संस्था को नहीं दिया जाता है। सम्मान, संस्था द्वारा किए गए रचनात्मक कार्य एवं अनुदान की मान्यता के रूप में दिया जाता है, वित्तीय सहायता के बतौर नहीं।
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राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान | ||
1. | कस्तूरबा गांधी स्मारक ट्रस्ट इन्दौर (मध्यप्रदेश) | 1995-96 |
2. | लोक भारती शिक्षा समिति सणोसरा (गुजरात) | 1996-97 |
3. | आचार्य कुल-खादी मिशन, विनोबा आश्रम वर्धा (महाराष्ट्र) | 1997-98 |
4. | भारतीय आदिम जाति सेवक संघ, नई दिल्ली | 1998-99 |
5. | मणि भवन स्मारक ट्रस्ट, मुम्बई | 1999-00 |
6. | गांधी नेशनल मेमोरियल सोसायटी, पुणे | 2000-01 |
7. | अशोक आश्रम चीचलू (देहरादून) | 2001-02 |
8. | वनवासी सेवा आश्रम गोविन्दपुर (सोनभद्र) | 2003-04 |
9. | जीव सेवा संस्थान बैरागढ़ (भोपाल) | 2004-05 |
10. | दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट (सतना) | 2005-06 |
11. | दिव्य प्रेम सेवा मिशन, हरिद्वार | 2006-07 |
12. | सेवा भारती (नई दिल्ली) | 2007-08 |
12.राष्ट्रीय तानसेन सम्मान
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